मैं लौटूंगी तुम्हारे पास...!
वो नन्हा फूल बनकर,
जो हर रोज़ तुम्हारे आँगन में खिलेगा,
अपनी खुसबू से सबको महका देगा !
मैं लौटूंगी तुम्हारे पास वो नन्हा पौधा बनकर,
जो हर पल तुमको ठंडी छाँह देगा !
मैं लौटूंगी तुम्हारे पास,
तुम्हारी नन्ही बेटी बनकर,
जिसकी किलकारियों से तुम्हारा आँगन गूँज उठेगा !
मैं लौटूंगी तुम्हारे पास,
वो नन्हा तारा बनकर,
जो तुम्हारी हर दुआ पूरी करने टूट जाया करेगा !
मैं लौटूंगी तुम्हारे पास,
बारिश की वो पहली बूंद बनकर,
जो तुम्हारी रूह को भिगो देगी !
और तुम पर जी भर के बरस जाउंगी !
मैं लौटूंगी तुम्हारे पास,
सूरज की पहली किरण बनकर,
और तुम्हारे जीवन में उजाले भर दूंगी !
मैं लौटूंगी तुम्हारे पास,
हर उस रूप में,
जो तुम्हें जीने की वज़ह देगा !
हर युग,
हर जन्म,
तुम्हारे लिए... सिर्फ तुम्हारे लिए !
Sunday, 7 May 2017
मैं लौटूंगी !
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