अलंकृत
Friday, 28 January 2022
जहाँ से तुमको विदा किया...
तुम चले गए बहुत दूर कहीं
लेकिन...
मैं आज भी वही हूँ
जहाँ से तुम्हें विदा किया !
जाओ
जाना ही है तो पूरे जाओ,
यूँ आधे-अधूरे मेरे भीतर रह कर नहीं!
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