तुम्हारे साथ मन से थी सरीर को कही दूर छोड़ किसी कोने में दफ़न कर इस मांस के चीथड़े को तुम्हारे संग हो जाती थी लेकिन अब केवल सरीर से हर जगह मजूद होती हूँ मन तो रह गया कही पीछे बहुत पीछे कही छूट सा गया !
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