वो कभी मुझे मेरी जिम्मेदारियां नहीं बताते,
लेकिन...
जब एक नज़र भर,
वो उम्मीद भरी आंखें मेरी ओर तकती है,
ख़ुद-ब-खुद बयां हो जाते हैं
वो सपने...
जिनके चित्र उन नम आंखों में तैर रहें !
वो कभी कमजोर नहीं पड़ते !
लेकिन
पैरों का यूँ लड़खड़ाना
बयां करता है जीवन भर का वो सफ़र...
जिसे बिना रुके तय करते आएं
कभी नहीं आने देते चेहरे पर थकान
लेकिन
माथे पर लेटी
वो बलें
बयां करती है...
हर वह त्याग,
जो औरों की खुशी के लिए किया !
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