Wednesday, 25 May 2022

तेरा तुझ को अर्पण


तुमको कुछ दे पाऊं 
वो 'कुछ' मेरे पास नहीं 
सिवाय मेरी साँसों के जो सिर्फ मेरी हैं
ऐसा कुछ जो सिर्फ मेरा है,
उसके सिवाय 
तुमको कुछ दे पाऊं
वो 'कुछ' मेरे पास नहीं

 .....सिवाय....

मेरा वक्त जो सिर्फ मेरा, मेरे हर पल में है,
मेरी उम्र, जो मेरे जीवन में है,
मेरा जीवन, जो तुम्हारी साँसों में है,
मेरी धकड़ने, जो मेरे हृदय में हैं,
मेरा हृदय,जो मेरे शरीर में है,
मेरी मुस्कुराहट, जो मेरे होंठो में है,
मेरे चेहरे का नूर, जो तुम्हारे चेहरे में है,
मेरा लहू, जो मेरी रगों में
मेरी आत्मा, जो मेरी रूह में है,
मेरी खूबसूरती, जो मेरी आँखों में है,
मेरी किस्मत, जो मेरे हाथ की लकीरों में है
मेरी ऊँचाई, जो मेरे कदमों में है
मेरा परिश्रम, जो मेरे संघर्ष में है
मेरी प्रार्थनाएं, जो ईश्वर से हर क्षण मैंने की
मेरी दुवाएं, जो मैंने हर दुःख-सुख में माँगी
मेरी पवित्रता, जो मेरी सच्चाई में है
मेरा घमण्ड/गुरुर, जो मेरे आत्मसम्मान में है,
मेरा मुझ में जो है, वो सब तुम्हारा !

और, साथ ही साथ...

मेरी कमजोरी, जो सिर्फ तुम में है...
मेरी बेचैनी, जो तुमको खोने में है...
मेरी ताकत, जो सिर्फ तुम हो...
मेरी जीवन भर की खुशी, जो तुमको पाने में है,
मेरी पहचान, जो तुम से होगी,

मेरा 'सब' तुमको उपहार...






मैंने अपने भीतर 
 तुम्हारे प्रेम को बचाये रखा
और उसने इस दुनिया की
सारी कड़वाहटों को मिटा
 इस दुनिया को
मुझ में बचाए रखा।

नदी का समुंदर से मिलन...

मैं नदी बनना चाहती हूँ,
ताकि मुझे समुंदर नसीब हो।
जो पहाड़ो और मैदानों के सफर से थक जाऊं,
तब बाहें फैलाए
आगे समुंदर मेरा इंतजार करता मिले,
और मैं उसी में समा कर समुंदर हो जाऊं।