अलंकृत
Wednesday, 25 May 2022
नदी का समुंदर से मिलन...
मैं नदी बनना चाहती हूँ,
ताकि मुझे समुंदर नसीब हो।
जो पहाड़ो और मैदानों के सफर से थक जाऊं,
तब बाहें फैलाए
आगे समुंदर मेरा इंतजार करता मिले,
और मैं उसी में समा कर समुंदर हो जाऊं।
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