Thursday, 21 July 2016

परछाई !

तुम चले गये
दूर
बहुत दूर
मुझसे
लेकिन

सहसा एक दिन
कोई आ खड़ा सामने
बिल्कुल
तुम्हारी काया ओढ़े
चलना
बोलना
मुस्कुराना
ठहरना
सब तुम्हारी तरह

लेकिन
विडम्बना
देखो
नसीब का
वह तुम नहीं
तुम्हारी तरह
चलने बोलने मुस्कुराने वाला
'अन्य'

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