दूर कहीं जब संध्या अपने सूरज को बुलाये,
और!
सूरज अपने घर चले जाए
तब मैं भी अन्धेरी रात में,
तुम्हें अपने पास ही रहने देना चाहता हूँ!
तुम्हें करीब बिल्कुल करीब से छूना चाहता हूँ,
जब कभी बछड़ा गाय से बिछड़ता है और फिर मिलता है,
मैं तुमसे वैसे ही मिलना चाहता हूँ
तन्मयता से!
तुम्हारे होठों को हल्के हाथों से स्पर्श चाहता हूँ ,
मैं तुमसे कुछ नहीं माँग रहा,मैं तुमसे सबकुछ चाह रहा हूँ!
No comments:
Post a Comment