Tuesday, 30 August 2016

एक गुज़ारिश !

तेरे लबों पे किसी और का नाम भी आने न पाये
तेरी नज़रो में किसी और का ख़्वाब भी आने न पाये
तेरी नींद में किसी और का सपना भी आने न पाये
तेरी आँखों में कीसी और का चेहरा भी आने न पाये
तेरी साँसों में किसी और की महक भी आने न पाये
तेरी रूह पे किसी और का स्पर्श भी न होने पाये
मैं इस कदर तुझ में समां जाउ
मेरे सिवा कोई अपना निशां भी न ढूढने पाये
तुझ तक पहुँचने का पता सिर्फ मेरे पास हो ।

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